अहिंसामूर्ती भगवान महावीर
अनिल जैन
समग्र देश भगवान
महावीर जयन्ती उत्साहपूर्वक मनाने जा रहा है। अहिंसा, संयम एवं तपोमय आदर्श जीवन के
प्रत्येक, भगवान महावीर को इस संतप्त विश्व में स्मरण कर, उनके जीवनादर्शों के
चिंतन एवं पालन की जीतनी आवश्यकता आज उपस्थिति हुई है, उतनी संभवत: पहले कभी नहीं
रही होगी। इसलिए आज हम पुन:, हमारे सुंदर अतीत की इस परम विभूति की गौरव -गाथा गाकर,
अपने राष्टीय व्यक्तित्व को टटोलें और पुन: उनके मंगल मार्ग पर चलने का संकल्प करें।
भारत में श्रमण और
वैदिक, ये दो परम्पराएं बहुत प्राचीनकाल से चली आ रही हैं। इनका अस्तित्व ऐतिहासिक
काल से आगे प्राग्-ऐतिहासिक काल में भी जाता है।
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